सुबह की मुस्कान से

सुबह की मुस्कान से शुरु करो दिन ,
फ़ूलों की तरह खिलता रहे आपका मन ।

मत करो चिंता कि कोई गुस्सा है
रिश्तों का गुल्दस्ता बहुत सुन्दर सा है ,
मत आँकौ कि कौन कैसा है 
क्योँकि हंसना,रोना,रूठना,मनाना सब सहज सा है ।

आओ सुबह की मुस्कान को खत्म न होने दें
सारा दिन खुश रहकर खुद को सम्भलने दें,
इन लफ्जों से क्या कुछ बदल पाओगे
ये तभी समझोगे जब आप हर दम मुस्कुराओगे
सुबह की मुस्कान


मेरी हंसी मेरी सोच बदल देती है,
और मेरे व्यवहार मे ताजगी भर देती है।
 दूसरों की बातें जब चुभने लगती हैं,
तब खिलखिलाहट उसी से दबने लगती है।

पर अपमान का अहसाह वहीं है जहाँ घमंड है
इसलिए बुरा मानना खुद को ही एक दंड है
खुश रह मेरी रूह,तूं तो जोत अखंड है।


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